छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी। छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी।
हम फिर सो जाते हैं हम सब जैसे कि अब उस सपने का कोई मूल्य नहीं। हम फिर सो जाते हैं हम सब जैसे कि अब उस सपने का कोई मूल्य नहीं।
तू कैदी में कैदी, यहां ना कोई आजाद है ये भीड़ हैं। तू कैदी में कैदी, यहां ना कोई आजाद है ये भीड़ हैं।
तू उस बस्ती का रहने वाला जहाँ हर पहर रोशन दिए तू उस बस्ती का रहने वाला जहाँ हर पहर रोशन दिए
हर पल नई आशाएं और ना डर रहे किसी का हर तरफ खुशियों का बसेरा ! हर पल नई आशाएं और ना डर रहे किसी का हर तरफ खुशियों का बसेरा !
रात चाहे काली कितनी हो रात चाहे काली कितनी हो